Sunday, January 1, 2017

एक और बीता साल



कुछ याद किया कुछ भुला दिया
यारों एक और बीता साल मैंने बिता दिया
कुछ गिले शिक़वे किये, कहीं बस आंसू बहा दिया
यारों एक और बीता साल मैंने बिता दिया

मालूम नहीं कब कौन अपना बन गया
और कहीं मैंने, तो कहीं औरों ने पराया बना दिया
'feelings' की बातें हैं, बस यूँ ही बदल जाती हैं
ज़िन्दगी भर साथ रहने के वादों को बस फूंक से उड़ा दिया
यारों एक बीता साल मैंने बिता दिया

ख़बरों से सराबोर रहने की आरज़ू में
जब अपनों से दूर जाता रहा
'virtual world'  की दुनिया में जब लगातार ठोकरें खाता रहा
बड़ी मुद्दतों बाद अपनी सादी दुनिया का दरवाज़ा खटखटा दिया
मेरी मुस्कुराहटें तो वही टिकी थी, वक़्त ने कुछ ऐसा समझा दिया
यारों एक बीता साल मैंने बिता दिया

देखता हूँ तो इतना बुरा भी नहीं है सफ़र
आहिस्ता ही सही, हिम्मतें बढ़ती रही हैं
रूठता हूँ जब भी, झेल के हज़ार मुश्किलें
हौले से फुसला ही देती  है  ज़िन्दगी 

आज मस्तियों में झूम रहे लोगो को देखकर
अपना ग़म भी भुला दिया है
बस कुछ इस तरह से मैंने ये एक बीता साल भी बिता दिया है

                                                                                 ~ निधि  



Saturday, June 4, 2016

सराय




सोचता हूँ लिखने की कुछ खत तुम्हें आज भी
जब उफनता है ज़हन में यादों की तूफ़ान कभी
पर कुछ सोच के रुक जाता हूँ, थम जाता हूँ ये याद कर
अंग्रेजी मुझे आती नहीं और हिंदी तुम पढ़ सकती नहीं। 

यादें भी क्या रंग लाती हैं ना?
कभी हंसाती  तो कभी रुलाती
कितने आंसू बह निकले कुछ हिसाब न पूछो
कभी कभी तंग हो जाता हूँ इनसे!

पर कड़वाहट भी तो एक स्वाद है ज़िन्दगी का 
वरना  मिठास मर न जाएगी?


याद है मुझे वो दिन
जब कुछ पूछा था एक आस भर मन में
और तुमने एक मनमौजी बच्चे की तरह हंस कर
कितनी आसानी से कह दिया था

"ज़रूरी नहीं सब  पलों को रिश्तों  में कैद करना 
कुछ पल खुली हवा में जीते हैं 
ये तो वो सराय है जो रखेंगे महफूज़ हमें 
वरना बंदिशे तो गला घोंट देती हैं रूह का..."

सही कहा था तुमने शायद
आज उसी सराय में बैठां हूँ
तुम भी अक्सर आती होगी यहां
जब भीड़ में रूह छिलने लगती होगी।

चलो मिलें कभी फिर यहीं
अपनी अपनी बंदिशों के बोझ को बांटने
इसी उम्मीद पर एक खत लिखने की सोचता हूँ तुम्हें
पर अंग्रेज़ी मुझे आती नहीं और हिंदी तुम पढ़ सकती नहीं। 



Saturday, August 30, 2014

I run...
against those harsh winds, those dark clouds

I run...
to dry up all my tears, to heal my worn out soul

I run hard, very hard
to see one bright ray of sun, shining at its best
Its warmth spilled on my forehead,
to soak up all the images, scars buried beneath.

And all I can see is you 'My Soul'
How long I waited
Oh how long...