कभी हंसने लगी हूँ, कभी रोने लगी हूँ
माँ मैं तुझ जैसी होने लगी हूँ
बैठे बैठे ही कितने ख्वाब पिरोने लगी हूँ
माँ मैं तुझ जैसी होने लगी हूँ
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वो बचपन, वो लड़कपन
वो घड़ी घड़ी रूठ जाना
फिर तुनकमिज़ाजी से रही कसर पूरी कर
तेरे हाथ की गरम रोटी खाने बैठ जाना
आज वही मैं - अपने बच्चों के नखरे ढोने लगी हूँ
माँ मैं तुझ जैसी होने लगी हूँ
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कभी काजल, कभी बिंदी
कभी ओढ़नी पहन के इतराना मेरा
तेरी थकी आँखों में वो चमक देख
मन ही मन मुस्कुराना मेरा
उसी पहचानी थकान से
आज अपनी आँखें भिगोने लगी हूँ
माँ मैं तुझ जैसी होने लगी हूँ
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वो बिफर जाना मेरा तेरी हर एक फटकार पर
सोच कर कि तुझे कुछ भी नहीं है मालूम
दुनिया कितनी बड़ी लगती थी तब
और तेरी बातें?
कितनी छोटी
अब वही छोटी बातों को याद कर
अपना हर एक दिन सजोने लगी हूँ
माँ मैं तुम जैसी होने लगी हूँ
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तेरी सादगी नहीं भाती थी मुझे
कभी तो लाली पाउडर लगा लेती?
पर आज वही हाल है मेरा भी
दराज़ में धूल खाती हैं तमाम बनावटी चीज़ें
तुझ जैसी ही खूबसूरत सादगी में
मैं खुद को डुबोने लगी हूँ
क्यों माँ मैं तुझ जैसी ही होने लगी हूँ
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वक़्त बह निकला है माँ
समय ने करवट ली है
अब वही पुरानी तस्वीरों में
तुझमे मैं आज खुद को देखती हूँ
इसे खेल कहो या किस्मत
कुछ बातें समझ आती हैं बड़े इत्मीनान से
मुस्कुराते मुस्कुराते ये देखो अब रोने लगी हूँ
हाँ माँ मैं तुझ जैसी ही होने लगी हूँ
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HAPPY MOTHER'S DAY
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